छत्तीसगढ़ में भयावह स्थिति – पौने दो वर्ष में हज़ारों गायों की मौत, सरकार मौन !
रायपुर, 01 अक्टूबर 2025 / छत्तीसगढ़ में गौवंश की स्थिति दिन-प्रतिदिन भयावह होती जा रही है। विभिन्न समाचार माध्यमों में प्रकाशित खबरों और प्रत्यक्ष घटनाओं के अनुसार बीते पौने दो वर्ष में 850 से अधिक गायें सड़कों पर वाहन दुर्घटनाओं में कुचलकर मारी गईं, वहीं लगभग 1200 से अधिक गायें भूख और चारे-पानी के अभाव में तड़प-तड़प कर मर गईं। इसके अलावा 200 से अधिक गायें जहरीले पदार्थ खाने से काल के गाल में समा गईं।
रायपुर जिले के समोदा गौठान की स्थिति बेहद विभत्स है, जहां डेढ़ दर्जन से अधिक मृत गायों के अवशेष आज भी चील-कौवे और जानवर नोच रहे हैं। इसी प्रकार गुल्लू और मोहरा गांवों में भी 40 से अधिक गायें भूख से मर चुकी हैं।
बीते 16 सितंबर को बिलासपुर–रतनपुर हाईवे पर एक तेज़ रफ्तार ट्रक ने 19 गायों को कुचल दिया। इस हादसे में एक गर्भवती गाय का पेट फट गया और बछड़ा बाहर निकल आया। उसी दिन दुर्ग जिले के बाफना पेट्रोल पंप के पास कंटेनर ने 8 गायों को कुचलकर मार दिया।
अगस्त 2025 के पहले सप्ताह में ही तीन अलग-अलग हादसों में 90 गायों की मौत पर उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी, इसके बावजूद घटनाओं का सिलसिला थमा नहीं।
बारीडीह के पास 17 गायें
बिलासपुर में 25 गायें
रतनपुर मार्ग पर 12 गायें
दामाखेड़ा के पास 9 गायें
किरना में 18 गायें
महासमुंद नेशनल हाईवे पर 12 गायें
जांजगीर-चांपा जिले में 16 गायें
सिमगा-बेमेतरा हाईवे पर 8 गायें
बलौदाबाजार में भूख से 12 गायें
सिर्फ रायपुर के उरला से लगे कन्हेरा क्षेत्र में जहरीला पदार्थ खाने से दो दर्जन से अधिक गायों की मौत हुई।
यह तथ्य साफ दर्शाता है कि प्रदेश में गौवंश की सुरक्षा और देखभाल के लिए ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। हाईवे पर लगातार हो रहे हादसे और गौठानों में भूख-प्यास से हो रही मौतें राज्य की नीतियों पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं।
हमारी माँग है कि—
1. राज्य सरकार हाईवे पर काउ-सेफ्टी जोन बनाकर दुर्घटनाओं पर रोक लगाए।
2. गौठानों में नियमित रूप से चारे और पानी की व्यवस्था सुनिश्चित करे।
3. जिम्मेदार अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई की जाए।
4. मृत गायों के मामलों की न्यायिक जाँच कराई जाए।
गायों के लगातार हो रहे इस नरसंहार से पूरे समाज की भावनाएं आहत हो रही हैं। यदि तत्काल ठोस कदम नहीं उठाए गए तो स्थिति और भयावह होगी।

Author: Chhattisgarhiya News
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