
*झोलाछाप डाक्टर की भरमार, लोगों को कर रहे है बीमार*

*गांव गांव में हैं झोलाछाप डाक्टर*
*बकायदा क्लिनिक का भी संचालन करते हैं*
*मुज्जम्मिल खान की रिपोर्ट*
छुरिया। छुरिया विकासखण्ड के अन्तर्गत आने वाले ग्रामों में कुकुरमुत्ते की तरह झोला छाप डाक्टरों की भरमार है जो प्रतिदिन गांव के ही नागरिकों को अपने ईलाज से ठीक कम कर रहे हैं बल्कि बीमार ज्यादा करने में लगे हैं। इन झोला छाप डाक्टरों पर लगाम कसना बहुत ही जरूरी है।
छुरिया नगर में खुद कई झोला छाप डाक्टर दिन भर प्रेक्टिस करते हैं करते बकायदा गले में स्टेथोस्कोप लगाये और बीपी मशीन लिये हुये नजर आ जायेंगे और कुछ झोला छाप डाक्टर अपने दो पहिया वाहन में घमू घूम कर दिन भर प्रेक्टिस करते हैं। और किसी भी कार्यवाही बचने के लिये लेन देन कर मामला को शांत करवा लेते हैं।
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के उच्चाधिकारियों से निवेदन है कि विकासखण्ड छुरिया के सभी ग्रामों में ईलाज करने वाले झोला छाप डाक्टरों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही करने की शुरूआत करें। और गांवों में डाक्टरी करने वाले झोला छाप डाक्टरों की जानकारी एकत्र करें और एलोपैथिक या आयुर्वेदिक दवाईयों से ईलाज करने की बात कह कर बचने वाले डाक्टरों की ठीक से जांच पड़ताल करें क्योंकि ये डाक्टर एैसा बोल कर कार्यवाही से बच कर फिर से अपनी प्रेक्टिस चालू कर देते हैं। अगर सही जांच पड़ताल की जाये तो एैसा अनुमान है कि पूरे छुरिया ब्लाक में 100 – 200 झोला छाप डाक्टर निजी क्लिनिक या घूम घूम कर प्रेक्टिस कर रहे होंगे।
झोला छाप डाक्टर निजी प्रेक्टिस के अलावा झा़ड़ फूंक के नाम पर भी गांव की भोली भाली जनता को लूट रहे हैं। गांव वाले इन डाक्टरों के झांसे में आकर अपने ईलाज से भी वंचित रह जाते है और आर्थिक क्षति भी करवा बैठते हैं। कुछ झोला डाप डाक्टर अपने आप को बी ए एम एस डिग्री है बोल कर ईलाज करने की बात करते हैं उनकी डिग्री की भी गहन जांच की जानी चाहिये। मेडिकल स्टोस में एक साल काम कर लेने वाले लोग दस बीस दवाई का नाम सीख कर निजी प्रेक्टिस करके अपने आप को डाक्टर बनाने से भी पीछे नहीं हटते हैं और बेखौफ प्रेक्टिस के नाम पर गांव की जनता को लूटने में लगे हैं। क्या इस मामले को स्वास्थ मंत्री सदन में उठा पाएंगे।
*किसे कहते हैं झोला छाप डाक्टर*
झोला छाप डॉक्टर, यानी क्वैक डॉक्टर, आमतौर पर अस्पष्ट या गैर-वैध चिकित्सक होते हैं. इनमें से ज़्यादातर अविद्यार्थी या बिना प्रमाण के चिकित्सा करने वाले होते हैं और इन्हें चिकित्सा उपचार का अनुभव नहीं होता. झोला छाप डॉक्टरों के बारे में कहा जाता है कि ये ग्रामीण इलाकों में मेडिकल सुविधा का मुख्य आधार हैं. हालांकि, इनसे जुड़े खतरे की चेतावनी दी जाती है और लोगों को उनसे सावधान रहने की सलाह दी जाती है. झोला छाप डॉक्टरों पर कार्रवाई के लिए आईपीसी की धारा 304 के तहत भी प्रावधान है. अगर झोला छाप डॉक्टर के इलाज से मरीज़ की मौत हो जाए, तो उसे अधिकतम दो साल की जेल और जुर्माना हो सकता है. साथ ही, झोला छाप डॉक्टरों पर कार्रवाई के लिए आयोग, नैतिकता और चिकित्सा पंजीकरण बोर्ड, या राज्य चिकित्सा परिषद की ओर से लिखित शिकायत करनी होती है.

Author: Chhattisgarhiya News
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