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हाईकोर्ट ने कहा-स्टिंग ऑपरेशन केस में मीडिया पर नहीं चला सकते मुकदमा हाई कोर्ट के फैसले का आईराइंटरनेशनल के प्रदेश अध्यक्ष छत्तीसगढ़ हेमंत वर्मा ने स्वागत किया है

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हाईकोर्ट ने कहा-स्टिंग ऑपरेशन केस में मीडिया पर नहीं चला सकते मुकदमा हाई कोर्ट के फैसले का आईरा इंटरनेशनल के प्रदेश अध्यक्ष छत्तीसगढ़ हेमंत वर्मा ने स्वागत किया है एवं कहा
इसका मतलब देश में जितने भी स्टिंग ऑपरेशन हुए सब सही है ऑपरेशन दुर्योधन भी बिल्कुल सही था



राजनंदगांव केरल हाई कोर्ट ने हाल ही में दिए अपने फैसले में एक स्टिंग ऑपरेशन करने वाले दो टीवी पत्रकारों को बड़ी राहत दी है और उनके खिलाफ शुरू किए गए आपराधिक मुकदमे को रद्द कर दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा है कि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए चौथा खंभा यानी मीडिया का होना जरूरी है। हम उस पर ऐसे केस नहीं चला सकते हैं। यह मामला सनसनीखेज सौर घोटाले से जुड़ा हुआ है।जस्टिस पीवी कुन्हिकृष्णन ने मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकारों के कामकाज पर रिपोर्टिंग करने या उसका स्टिंग ऑपरेशन करते समय प्रेस को कभी-कभी कानूनी सीमाओं को धुंधला करना पड़ सकता है। यह उसके काम का हिस्सा है क्योंकि जनता तक सही सूचनाएं पहुंचाना उनका कर्तव्य है और ईमानदारी से इसे पूरा किया जाना चाहिए। इसमें बाधा नहीं उत्पन्न करना चाहिए।बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस कुन्हिकृष्णन ने अपने फैसले में लिखा, “स्वस्थ लोकतंत्र के लिए चौथा स्तंभ आवश्यक है। यह सुनिश्चित करता है कि सत्ता का दुरुपयोग न हो और नागरिकों को लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की जानकारी हो और उस प्रक्रिया में शामिल हों। चौथा स्तंभ काम कर रहा है या नहीं और उपरोक्त सिद्धांतों का पालन कर रहा है या नहीं, यह एक अलग बात है। लेकिन उपरोक्त लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उनकी ओर से कुछ ऐसी गतिविधियां हो सकती हैं, जिनकी कानून के अनुसार सामान्यतः अनुमति नहीं है। चौथे स्तंभ द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली ऐसी ही एक विधि है ‘स्टिंग ऑपरेशन’।” आईरा के प्रदेश अध्यक्ष हेमंत वर्मा ने कहा कि देश की तमाम न्यायालय सुप्रीम कोर्ट भी पत्रकारों की अधिकारों और संरक्षण के लिए कटिबंध है इसके बावजूद भी मीडिया की मजबूरी कहे या सरकारों के दबाव मीडिया निष्पक्ष निर्भीक काम नहीं कर रही है उनके अधिकारों का अलग-अलग राज्यों में चुने हुए सरकारे दमन करने पर तुली हुई है उन पर फर्जी केसेस दर्ज किए जा रहे हैं पत्रकारों की सरकारी पहचान अब तक नहीं बनी है यूट्यूब और डिजिटल मीडिया के युग में पत्रकारों की बेतहाशा भीड़ हो गई है यहां पर पत्रकारों की पहचान की संकट आ चुकी है कई  माफिया अपराधी प्रवृत्ति के लोग पिछले दरवाजे से घुसकर मीडिया की आड़ में भय दोहन कर अवैध उगाही धमकी चमकी जैसे वारदातों को अंजाम दे रहे हैं ऐसे ही भीड़ तंत्र मीडिया की वजह से पिछले वर्ष यूपी के खूंखार  बाहुबली  पूर्व सांसद अतीक अहमद एवं उसके भाई अशरफ को तथाकथित मीडिया कर्मी बनकर अपराधियों ने धड़ाधड़ गोली चला कर दोनों भाइयों की जान ले ली जबकि दोनों माफिया ब्रदर देश में गद्दार देश पाकिस्तान की कुछ संगठित अपराधों की पोल खोलने वाले थे प्रयागराज में उनकी पेशी के दौरान पुलिस कस्टडी में गंभीर वारदात में दोनों की मौत हो गई आमतौर पर देखा जाता है कि छत्तीसगढ़ सहित बहुत सारे प्रदेशों में किसी राजनेता या अधिकारियों के सामने मीडिया की माइक की भरमार रहती है लेकिन असल में कितने न्यूज़ चैनल है कितने पोर्टल है इसकी तक पड़ताल नहीं हो पाती जिसका फायदा अपराधिक मनसा पाले हुए लोग उठा रहे हैं आज मीडिया के आड़ में ज्यादातर क्राइम हो रहे हैं दूसरी ओर स्टिंग ऑपरेशन जैसे चीज लगभग गायब सी हो गई है 2005 में ऑपरेशन दुर्योधन जो कि संसदीय इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन था उसके बाद जैसे स्टिंग ऑपरेशन की अकाल सी हो गई है न्यूज़ मीडिया हाउस क्यों भ्रष्टाचारियों को बेनकाब नहीं कर रही है यह बड़ा गंभीर सवाल है जिस पर मीडिया कर्मियों को चिंतन करने की आवश्यकता है इसी तरह मीडिया आज धंधा पानी की तरह से हो गई है जिसमें नफा नुकसान देखा जा रहा है यही वजह है कि गैर पत्रकार लोग धड़ाधड़ इसमें प्रवेश कर रहे हैं चंद पैसों के लिए राज्यों के स्टेट ब्यूरो माफिया अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को चैनल की माइक आईडी दे रहे हैं जिसका जम कर दुरुपयोग किया जा रहा है मीडिया की आड़ में व्यक्तिगत स्वार्थ लाभ ले रहे हैं सरकारों को इस पर गंभीरता से विचार करना होगा अन्यथा लोकतंत्र का चौथा खंभा अति शीघ्र धराशाई होने के कगार पर है

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Author: Chhattisgarhiya News

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